हुस्न की ये दिल चुराने की अदा…
हुस्न की ये दिल चुराने की अदा।
तोड कर दिल मुस्कुराने की अदा॥
मार डालेगी हमें इक रोज ये।
हाय यूं नजरे झुकाने की अदा॥
हर गुजरता पल सिखाता है हमें।
ज़िन्दगी का गीत गाने की अदा॥
गिरगिटों से छीन ली है दोस्तों।
रहबरों ने रंग दिखाने की अदा॥
देख कर उनको बहुत हैरान हूं।
बेच सपने खूब छाने की अदा॥
कर न दे हम को कहीं मदहोश ये।
आँखों से मदिरा पिलाने की अदा॥
याद है हमको अभी तक रहबरों।
जीत कर हमको भुलाने की अदा॥
हक हसीनों का रहा है उम्र पर।
वाह हरदम कम बताने की अदा॥
क्यूं दिलों में बस रही है क्या कहूँ।
हार कर भी मुस्कुराने की अदा॥
सतीश बंसल