भारत भूमि
भारत भूमि माता मेरी
मैं अपना फर्ज निभाऊँगा
स्वर्ग है एक यहाँ
कश्मीर की घाटी मैं
खुश्बू मातृत्व की
नदी , पहाड़ और इसकी माटी में
देवभूमि शान है उत्तर की
आठों पहर मैं गीत इसी के गाऊँगा
भारत भूमि माता मेरी
मैं अपना फर्ज निभाऊँगा
अनंत है तेरी
करूणा की गहराई
युगों-युगों से नाम है तेरा
कण-कण, जन-जन में तूँ समाई
हिन्द सागर स्वागत करे दक्षिण में
चारों दिशाओं में तूँ छाई है
सीखा तेरी शरण में रहकर जो
जमीं पे वो बीज बिखराऊँगा
भारत भूमि माता मेरी
मैं अपना फर्ज निभाऊँगा
— परवीन माटी