कविता

पानी पर

जग बसा है पानी पर
कल टिका है पानी पर
लिखी कहानी पानी पर
दिखी कहानी पानी पर
परछाई है पानी पर
तन्हाई है पानी पर
कल कल संगीत है पानी पर
झर झर मेरी प्रीत है पानी पर
सपनों के बुलबुले है पानी पर
कुछ मनचले हैं पानी पर
पर्वत खड़े है पानी पर
धरती अड़े है पानी पर
पंछी चहकता है पानी पर
कमल भी तो महकता है पानी पर
सब कुछ रहता है पानी पर
जीवन की निशानी है पानी पर

परवीन माटी

प्रवीण माटी

नाम -प्रवीण माटी गाँव- नौरंगाबाद डाकघर-बामला,भिवानी 127021 हरियाणा मकान नं-100 9873845733