पानी पर
जग बसा है पानी पर
कल टिका है पानी पर
लिखी कहानी पानी पर
दिखी कहानी पानी पर
परछाई है पानी पर
तन्हाई है पानी पर
कल कल संगीत है पानी पर
झर झर मेरी प्रीत है पानी पर
सपनों के बुलबुले है पानी पर
कुछ मनचले हैं पानी पर
पर्वत खड़े है पानी पर
धरती अड़े है पानी पर
पंछी चहकता है पानी पर
कमल भी तो महकता है पानी पर
सब कुछ रहता है पानी पर
जीवन की निशानी है पानी पर
— परवीन माटी