वो बचपन
वो बचपन की याद
सावन की फुहार
कागज की नाव
पानी मे चलाना
खुब भाता था
पल मे खफा
पल मे खुश
पल मे दोस्तो के संग
मस्ती में रम जाना था
सावन आते ही
आसमान में
कालें बादल देख
वो पल सुहाना लगता था
आओ वर्षा आओ वर्षा
कहकर चिल्लाने में
और पानी मे
भिंग जाने पर
मन खुब हर्षाता था
पेडो मे झुला डाल
दोस्तो के संग झुलना
आसमान को
छुने की होड में
लम्बी छलांगे भरकर
हँसना खुब आता था
आज कहॉ वो जमाना
कहॉ गया वो बचपन
सब यादे बनकर रह गया
वो प्यारा अपना बचपन|
निवेदिता चतुर्वेदी
सुन्दर कविता
धन्यबाद
धन्यबाद
प्रिय निवेदिता जी, उत्कृष्ट भावनात्मक लेखन सचमुच सराहनीय है । हमारी शुभकामनाएँ आपके साथ है । लिखते जाइए , आगे बढ़ते जाइए…।
सराहना हेतू धन्यबाद
सराहना हेतू धन्यबाद