गीतिका/ग़ज़ल

“कर दिया जाए”

चलो ऐसा भी मेरे यार, एक बार कर दिया जाए,

मुझे इस दुनिया में, दुनियादार कर दिया जाए।

कब तक छिपेगा ज़माने से, ये अब और नहीं,

चल कर मेरे इश्क को, अख़बार कर दिया जाए।

किसी के पोंछ दे आंसू, देदे लबों पर हंसी,

इस तरह से चुकता जहां का, उधार कर दिया जाए।

अम्न के बाज़ारों में, बस मुहब्बतों की दुकाने हो,

मेरे शहर का कुछ ऐसा, कारोबार कर दिया जाए।

बेचकर ज़मीर को “जय”, ग़र बात हो अस्मत की,

क्यों नहीं इस सोदे से ही, अब इंकार कर दिया जाए।

जयकृष्ण चांडक “जय”

हरदा मध्य प्रदेश

 

*जयकृष्ण चाँडक 'जय'

हरदा म. प्र. से