गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल : हमारी ज़िन्दगी को ज़िन्दगानी की…

हमारी ज़िन्दगी को ज़िन्दगानी की ज़रूरत है।
रखे पहचान जो कायम निशानी की ज़रूरत है॥

कभी सर्दी कभी गर्मी कभी सूखा कभी बारिश।
कभी है धूप की दरकार पानी की ज़रूरत है॥

अग़र ललकार दुश्मन की कभी कानो तलक आये।
मिटादे दुश्मनों को जो जवानी की जरूरत है॥

खिलौना आदमी माटी का है कब टूट जायेगा।
है जब तक साँस सीने में रवानी की जरूरत है।

बिना बोले बताये ही गया जो छोडकर हमको।
उसी की याद में आँखो को पानी की जरूरत है॥

किसे परवाह है किसकी ये खुदगर्जी की दुनियाँ है।
यहाँ विश्वास की नूतन कहानी की जरूरत हैं॥

सदा जो हर कदम पर साथ दे दिल ज़ान वारे जो।
दिवाने को किसी ऐसी दिवानी की ज़रूरत हैं॥

सतीश बंसल

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.