ग़ज़ल : हमारी ज़िन्दगी को ज़िन्दगानी की…
हमारी ज़िन्दगी को ज़िन्दगानी की ज़रूरत है।
रखे पहचान जो कायम निशानी की ज़रूरत है॥
कभी सर्दी कभी गर्मी कभी सूखा कभी बारिश।
कभी है धूप की दरकार पानी की ज़रूरत है॥
अग़र ललकार दुश्मन की कभी कानो तलक आये।
मिटादे दुश्मनों को जो जवानी की जरूरत है॥
खिलौना आदमी माटी का है कब टूट जायेगा।
है जब तक साँस सीने में रवानी की जरूरत है।
बिना बोले बताये ही गया जो छोडकर हमको।
उसी की याद में आँखो को पानी की जरूरत है॥
किसे परवाह है किसकी ये खुदगर्जी की दुनियाँ है।
यहाँ विश्वास की नूतन कहानी की जरूरत हैं॥
सदा जो हर कदम पर साथ दे दिल ज़ान वारे जो।
दिवाने को किसी ऐसी दिवानी की ज़रूरत हैं॥
सतीश बंसल