गीत/नवगीत

विरहन के अहसास

सात जनम तक साथ निभाने का वादा क्यूँ तोड गये।
जीवन के अन्जान सफ़र में साथ भला क्यूँ छोड गये॥

भूल गये क्यूँ वचन दिये जो अग्नि के सम्मुख तुमने।
अपने ही दिल की धडकन को दिया भला क्यूँ दुख तुमने॥
जन्मी जन्मी के नाते को पल भर में क्यूँ तोड गये…
जीवन के अन्जान सफ़र में साथ भला क्यूँ छोड गये…

तुम बिन दिन भी अंधियारे है सूरज भी तम बाँट रहा।
तुम बिन जीवन का हर लम्हा एक नया ग़म बाँट रहा॥
आती जाती इन साँसों का ग़म से नाता जोड गये…
जीवन के अन्जान सफ़र में साथ भला क्यूँ छोड गये…

तोड गये क्यूँ जीवन पथ पर साथ निभाने के वादे।
सात जनम तक प्यार से मेरी माँग सजाने के वादे॥
हाथ छुडाकर अपना दर्दो गम से नाता जोड गये…

जीवन का ये सफ़र कठिन है कैसे कदम बढाउँगी।
संग मुझे भी लेकर जाते तुम बिन जी नही पाउँगी॥
जीवन के अनजान सफर को देकर कैसा मोड गये…
जीवन के अन्जान सफ़र में साथ भला क्यूँ छोड गये…

सतीश बंसल

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.