अधूरा प्यार
अधूरा प्यार
•••••••••••
पलकों को पलकों से ख्वाबों में रोज सजाया।
अक्सर तनहाईं के यादों में हर वक्त बिताया।
पलभर के संगत में वो मुझे इतना कुछ दे गई,
हर पल अपनी बातों उसे मैं रोज समझाया॥
आसूँ के सैलाब को हर दम रोक कर बिताया।
हर मौसम में आसुंओं को छोड़कर बिताया ।
न जाने कब बातों बातों में ही प्यार जगा गई,
अपने तो चली मुझे यहाँ छोड़कर तड़पाया॥
अधूरा प्यार करने के लिए क्यों मुझे बुलाया।
विश्वासघात कर मेरे साथ क्यों चोट पहुचाया।
हँसते हुए बातें करती थी इतना दिन क्यों,,
दर्द देना ही था तो खुशी का दौर क्यों बुलाया॥
@रमेश कुमार सिंह /19-07-2016