ग़ज़ल/गीतिका : ये कल की बात है
उनको तो हमसे प्यार है ये कल की बात है
कायम ये ऐतबार था ये कल की बात है
जब से मिली नज़र तो चलता नहीं है बस
मुझे दिल पर अख्तियार था ये कल की बात है
अब फूल भी खिलने लगा है निगाहों में
काँटों से मुझको प्यार था ये कल की बात है
अब जिनकी बेबफ़ाई के चर्चे हैं हर तरफ
वह पहले बफादार था ये कल की बात है
जिसने लगायी आग मेरे घर में आकर के
वह शख्श मेरा यार था ये कल की बात है
तन्हाईयों का गम, जो मुझे दे दिया उन्होने
वह मेरा गम बेशुमार था ये कल की बात है
— मदन मोहन सक्सेना