“स्वामी विवेकानन्द” (घनाक्षरी छन्द)
भारत के धर्म – ज्ञान का प्रकाश ले चले हैं ।
धर्म वाली संसद पहुँचने की चाह है ।।
कल तक सर्वजन भाषण से बचते थे ।
सर्व-धर्म जनों को दिखाते नयी राह हैं ।।
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अमरत्व का यथार्थ – सत्य उन्हें ज्ञात हुआ ।
सुख-दु:ख व्यर्थ सब क्रोध व उछाह है ।।
ज्ञान व विवेक के शिखर हैं विवेकानन्द ।
कौन जान पाए, ज्ञान की न कोई थाह है ।।
— राममिलन दीक्षित ‘आभास’