लाख होगीं कोशिशें ईमान को मत बेचना
लाख होगीं कोशिशें ईमान को मत बेचना
आदमीयत की यही पहचान को मत बेचना
थालियों में आपकी रूखे निबाले ही सही
आप दौलत के लिये सम्मान को मत बेचना
देश ने हमको दिये है अन्न जल औ प्राण भी
देश का गौरव बचाना शान को मत बेचना
प्यार जीवन के लिये वरदान है भगवान का
है यही विनती कभी वरदान को मत बेचना
सर झुके गर तो झुके केवल खुदा के सामने
बुत परस्ती कर के अपने मान को मत बेचना
धर्म की लौ में खुदा का नूर ये कायम रहे
नूर ये हरगिज़ कभी शैतान को मत बेचना
हिन्द के है लाल सिख हिन्दू मुसलमां हम सभी
चाहे जो हो आप इस पहचान जो मत बेचना
सतीश बंसल
१८-१२-२०१६