गीतिका/ग़ज़ल

लाख होगीं कोशिशें ईमान को मत बेचना

लाख होगीं कोशिशें ईमान को मत बेचना
आदमीयत की यही पहचान को मत बेचना

थालियों में आपकी रूखे निबाले ही सही
आप दौलत के लिये सम्मान को मत बेचना

देश ने हमको दिये है अन्न जल औ प्राण भी
देश का गौरव बचाना शान को मत बेचना

प्यार जीवन के लिये वरदान है भगवान का
है यही विनती कभी वरदान को मत बेचना

सर झुके गर तो झुके केवल खुदा के सामने
बुत परस्ती कर के अपने मान को मत बेचना

धर्म की लौ में खुदा का नूर ये कायम रहे
नूर ये हरगिज़ कभी शैतान को मत बेचना

हिन्द के है लाल सिख हिन्दू मुसलमां हम सभी
चाहे जो हो आप इस पहचान जो मत बेचना

सतीश बंसल
१८-१२-२०१६

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.