कविता

कदम-कदम आगेे… ।

वर्तमान कहता मुझे
सुखमय जीवन का राह दिखाते हुए
भूल जाओ अतीत की यादें।
आइने में
अपने सुंदर छवि को देखते
मधुमय उपवन में आराम लेते
चमक-धमकों के
जग में तुम
मशगूल होते
अपने को धन्यभागी मानते
चलते जाओ..
चलते जाओ..।

यह मेरे साथ
हो सकता है कैसे..
मेरा तन-मन जो है
अतीत की वेदना से पाला-पोसा है।
क्या मैं अपनी माँ को भूल जाऊँ
मिट्टी के इस कण-कण को
निष्ठामयी श्रमजल से
सींचा पौधा मैं
हर डाली की धमनियों में
जलते-जलते
लालिमा भर दी अमृतधारी ने
मेरी हर रौनक में
अश्रुजल छिपी है उस दिव्य मूर्ति का
हरबार मैं
अपने अम्मी जान को याद दिलाते
कदम-कदम ..
मंगलमय मानव संसार की ओर
बढ़ते जाऊँगा
बढ़ते जाऊँगा ।

पी. रवींद्रनाथ

ओहदा : पाठशाला सहायक (हिंदी), शैक्षिक योग्यताएँ : एम .ए .(हिंदी,अंग्रेजी)., एम.फिल (हिंदी), सेट, पी.एच.डी. शोधार्थी एस.वी.यूनिवर्सिटी तिरूपति। कार्यस्थान। : जिला परिषत् उन्नत पाठशाला, वेंकटराजु पल्ले, चिट्वेल मंडल कड़पा जिला ,आँ.प्र.516110 प्रकाशित कृतियाँ : वेदना के शूल कविता संग्रह। विभिन्न पत्रिकाओं में दस से अधिक आलेख । प्रवृत्ति : कविता ,कहानी लिखना, तेलुगु और हिंदी में । डॉ.सर्वेपल्लि राधाकृष्णन राष्ट्रीय उत्तम अध्यापक पुरस्कार प्राप्त एवं नेशनल एक्शलेन्सी अवार्ड। वेदना के शूल कविता संग्रह के लिए सूरजपाल साहित्य सम्मान।