नववर्ष का अभिनन्दन
माफी चाहता हूँ मैने नववर्ष का अभिनन्दन नही किया
अंग्रेज़ो के द्वारा दिये गये तारिखो का वन्दन नही किया !
हिन्दुस्तान का निवासी हूँ अपनी सभ्यता का अराधक हूँ
मै हिन्दू नववर्ष को मानता हूँ शायद इसलिये अराजक हूँ !
संभल जाओ मेरे देश के लोगो इस भाड़े की संस्कृति से
हिन्दुस्तान को दिल मे रखिये बचिये फिरंगी विकृति से !
हिन्द का नववर्ष कब आता इसका सबको है ज्ञान नही
पढ़ना चाहो अग़र तो कोई भी है पुस्तक अनजान नही !
विश्वगुरु कहलाते है फिर अलग संस्कृति का मान क्यो
जिन्होने हमे लुटा गुलाम बनाकर उनका सम्मान क्यो !
हम सबको मिलकर इन बातो पर विचार करना होगा
बिलायती मानसिकता गुलामी का संहार करना होगा !
मेरी माता भारत माता यह देखकर हर दिन ही रोती है
शायद कल कुछ बदलेगा ये सोच कर रात को सोती है !
— बेख़बर देहलवी