कविता

नववर्ष का अभिनन्दन

माफी चाहता हूँ मैने नववर्ष का अभिनन्दन नही किया

अंग्रेज़ो के द्वारा दिये गये तारिखो का वन्दन नही किया !

हिन्दुस्तान का निवासी हूँ अपनी सभ्यता का अराधक हूँ
मै हिन्दू नववर्ष को मानता हूँ शायद इसलिये अराजक हूँ !

संभल जाओ मेरे देश के लोगो इस भाड़े की संस्कृति से
हिन्दुस्तान को दिल मे रखिये बचिये फिरंगी विकृति से !

हिन्द का नववर्ष कब आता इसका सबको है ज्ञान नही
पढ़ना चाहो अग़र तो कोई भी है पुस्तक अनजान नही !

विश्वगुरु कहलाते है फिर अलग संस्कृति का मान क्यो
जिन्होने हमे लुटा गुलाम बनाकर उनका सम्मान क्यो !

हम सबको मिलकर इन बातो पर विचार करना होगा
बिलायती मानसिकता गुलामी का संहार करना होगा !

मेरी माता भारत माता यह देखकर हर दिन ही रोती है
शायद कल कुछ बदलेगा ये सोच कर रात को सोती है !

— बेख़बर देहलवी

बेख़बर देहलवी

नाम-विनोद कुमार गुप्ता साहित्यिक नाम- बेख़बर देहलवी लेखन-गीत,गजल,कविता और सामाजिक लेख विधा-श्रंगार, वियोग, ओज उपलब्धि-गगन स्वर हिन्दी सम्मान 2014 हीयूमिनिटी अचीवर्स अवार्ड 2016 पूरे भारत मे लगभग 500 कविताओं और लेख का प्रकाशन