शब्दों का खेल
कभी प्राण बन
कभी बाण बन
बींध हृदय को जाते हैं !
ये “शब्द” बहुत कुछ कह जाते हैं ! !
कभी तोड़ें नाता
कभी जोड़ें नाता
नित नई कहानी बनाते हैं !
ये “शब्द” बहुत कुछ कह जाते हैं ! !
कभी बन फूल
कभी बन शूल
तूफान ह्रदय में मचाते हैं !
ये “शब्द” बहुत कुछ कह जाते हैं ! !
कभी मौन रह
कभी हो मुखर
ज्वारभाटा से बन जाते हैं !
ये ” शब्द” बहुत कुछ कह जाते हैं ! !
कभी कर आबाद
कभी कर बर्बाद
ज़िंदगानी बेमानी कर जाते हैं !
ये “शब्द” बहुत कुछ कह जाते हैं ! !
कभी इजहार-ए-प्यार
कभी नफरत-ए-इज़हार कर
अफ़साने कईं लिख जाते हैं !
ये “शब्द” बहुत कुछ कह जाते हैं ! !
अंजु गुप्ता