ऐ वतन ऐ वतन ऐ वतन…
ऐ वतन ऐ वतन ऐ वतन, ऐ वतन ऐ वतन ऐ वतन।
तेरी पावन जमीं को नमन, तेरी पावन जमीं को नमन॥
राम जन्में धरा पर तेरी, श्याम पैदा हुए हैं यहीं।
बुद्ध गौतम की है साधना,ये वफा प्रीत की है जमीं॥
खिल रहे फूल हर धर्म के , है यही प्यार का वो चमन…
ऐ वतन ऐ वतन ऐ वतन, ऐ वतन ऐ वतन ऐ वतन…
सत्य की साधना है जहाँ, प्रेम आराधना है जहाँ
ज़िन्दगी ज़िन्दगी है जहाँ,भाव है भावना है जहाँ
ये धरा दिल ज़िगर जान है, ये धरा तन धरा ही है मन…
ऐ वतन ऐ वतन ऐ वतन, ऐ वतन ऐ वतन ऐ वतन…
जो भी आया हमारी शरण, हमने सबको लगाया गले
हम सदा ही मिटाते रहे, जाति के धर्म के फासले
सर्व कल्याण के वास्ते, खुद को करते रहे हैं हवन…
ऐ वतन ऐ वतन ऐ वतन, ऐ वतन ऐ वतन ऐ वतन…
जन्म तेरी धरा पर मिला, हमको अभिमान इस बात का।
हे प्रभो शुक्रिया शुक्रिया, ऐसी अनमोल सौगात का॥
मान बढता रहे विश्व में, आइये हम करें वो जतन…
ऐ वतन ऐ वतन ऐ वतन, ऐ वतन ऐ वतन ऐ वतन…
सतीश बंसल
०३.०२.२०१७