बचपन क्या बीत गया उनका
बचपन क्या बीत गया उनका ,
क्या हुआ इन शोलों को, ये जलना भूल गये।
मंजिल करीब आयी तो, ये चलना भूल गये।।
हर गली में (राज) था जिनका, ओ नजर न आते-
है जूस्तजू आंखों में उनकी, वो टहलना भूल गये
क्या हुआ इन शोलों को,………………. ये चलना भूल गये।।
नजर मिलते ही मेरी ओ, बांहों में गिरते थे-
बचपन क्या बीत गया उनका, फिसलना भूल गये।
क्या हुआ इन शोलों को,………………. ये चलना भूल गये।।
चिलमनों के साये में, हर पल ही रहते हैंं-
तोहफा शबाब का मिला, ओ मिलना भूल गये।
क्या हुआ इन शोलों को,………………. ये चलना भूल गये।।
दिल को फ़कत रखना, बडा मुश्किल सा लगता है-
पेंडो से लटकते झूले ओ, अब झूलना भूल गये।
क्या हुआ इन शोलों को,………………. ये चलना भूल गये।।
चाहत बसी जिनकी, मुहब्बत जिनसे करता हॅूं-
बागों में फूल अब ओ, खिलना भूल गये।
क्या हुआ इन शोलों को,………………. ये चलना भूल गये।।
राज कुमार तिवारी (राज)