स्वास्थ्य

मुँह से दुर्गंध आना

कई लोगों के मुँह से बहुत दुर्गंध आती है, जो उनके निकट बैठने वाले व्यक्तियों को भी ज्ञात हो जाती है। सुबह सोकर उठने पर ऐसे लोगों का मुँह चिपचिपा रहता है और बदबूदार होता है। कई बार मंजन और पेस्ट करने पर भी यह दुर्गंध दूर नहीं होती।

मुँह से दुर्गंध आने का मुख्य कारण पायरिया होता है। यह दाँतों का वात रोग है जिसमें मसूड़ों से खून या पीव निकलता रहता है और मुँह में जम जाता है। कभी कभी मसूड़े फूल भी जाते हैं और दर्द करते हैं। कई बार उनमें गर्म या ठंडा पानी लगने पर भी बहुत दर्द होता है।

इसकी चिकित्सा कई स्तरों पर करनी होती है। सबसे पहले तो यह सुनिश्चित करें कि पेट हमेशा साफ रहे। इसके लिए पेडू पर मिट्टी की पट्टी और एनीमा का उपयोग सप्ताह में एक बार करना चाहिए। यदि इसकी व्यवस्था न हो सके, तो शौच के बाद पेडू पर ठंडे पानी की पट्टी रखें और फिर तेज चाल से टहलें।

पेट साफ रखने के लिए रोज खूब पानी भी पीना चाहिए। सात्विक भोजन और नियमित व्यायाम अति आवश्यक है। सप्ताह में एक दिन का उपवास या रसाहार इसमें रामवाण होता है।

दूसरी बात, दाँतों से खून न निकले इसके लिए टूथब्रश का उपयोग बन्द करके कोई आयुर्वेदिक मंजन या दातुन करनी चाहिए। महीन पिसा हुआ सेंधा नमक और सरसों के तेल का पेस्ट सबसे अच्छा रहता है। इससे बादी का जो खून मसूड़ों में भर गया होगा, वह एक बार में निकल जाता है। मंजन के बाद गीली उँगली से दातों और मसूड़ों की मालिश भी करनी चाहिए।

मुख की दुर्गंध बाहर न आये और पास बैठे व्यक्तियों को असुविधा न हो, इसके लिए जाडों में लौंग (लवंग) तथा गर्मियों में छोटी इलायची चबाते रहना चाहिए। ऐसे लोगों को पान सुपाडी कभी नहीं खानी चाहिए।

विजय कुमार सिंघल
चैत्र शु. ६, सं २०७४ वि (२ अप्रेल, २०१७)

डॉ. विजय कुमार सिंघल

नाम - डाॅ विजय कुमार सिंघल ‘अंजान’ जन्म तिथि - 27 अक्तूबर, 1959 जन्म स्थान - गाँव - दघेंटा, विकास खंड - बल्देव, जिला - मथुरा (उ.प्र.) पिता - स्व. श्री छेदा लाल अग्रवाल माता - स्व. श्रीमती शीला देवी पितामह - स्व. श्री चिन्तामणि जी सिंघल ज्येष्ठ पितामह - स्व. स्वामी शंकरानन्द सरस्वती जी महाराज शिक्षा - एम.स्टेट., एम.फिल. (कम्प्यूटर विज्ञान), सीएआईआईबी पुरस्कार - जापान के एक सरकारी संस्थान द्वारा कम्प्यूटरीकरण विषय पर आयोजित विश्व-स्तरीय निबंध प्रतियोगिता में विजयी होने पर पुरस्कार ग्रहण करने हेतु जापान यात्रा, जहाँ गोल्ड कप द्वारा सम्मानित। इसके अतिरिक्त अनेक निबंध प्रतियोगिताओं में पुरस्कृत। आजीविका - इलाहाबाद बैंक, डीआरएस, मंडलीय कार्यालय, लखनऊ में मुख्य प्रबंधक (सूचना प्रौद्योगिकी) के पद से अवकाशप्राप्त। लेखन - कम्प्यूटर से सम्बंधित विषयों पर 80 पुस्तकें लिखित, जिनमें से 75 प्रकाशित। अन्य प्रकाशित पुस्तकें- वैदिक गीता, सरस भजन संग्रह, स्वास्थ्य रहस्य। अनेक लेख, कविताएँ, कहानियाँ, व्यंग्य, कार्टून आदि यत्र-तत्र प्रकाशित। महाभारत पर आधारित लघु उपन्यास ‘शान्तिदूत’ वेबसाइट पर प्रकाशित। आत्मकथा - प्रथम भाग (मुर्गे की तीसरी टाँग), द्वितीय भाग (दो नम्बर का आदमी) एवं तृतीय भाग (एक नजर पीछे की ओर) प्रकाशित। आत्मकथा का चतुर्थ भाग (महाशून्य की ओर) प्रकाशनाधीन। प्रकाशन- वेब पत्रिका ‘जय विजय’ मासिक का नियमित सम्पादन एवं प्रकाशन, वेबसाइट- www.jayvijay.co, ई-मेल: [email protected], प्राकृतिक चिकित्सक एवं योगाचार्य सम्पर्क सूत्र - 15, सरयू विहार फेज 2, निकट बसन्त विहार, कमला नगर, आगरा-282005 (उप्र), मो. 9919997596, ई-मेल- [email protected], [email protected]