कविता : गौ हत्या
बेजुबां है ये
इनकी आंख से
सिर्फ आंसू बहते है !
इनके दर्द की कहानी
इनके बहते आंसू कहते है !!
कैसे है वो दरिन्दे
जो इनकी बलि चढ़ाते है !!
इतना संगीन जुर्म
फिर भी इन्सान कहलाते है !!
चन्द पैसो की खातिर
मां की हत्या करते है !
जिसने जीवन दान दिया
मार कर नही आहे भरते है !!
कर दो–
इनकी भी सजा मुकर्रर !
करके गौ हत्या
मां का अपमान किया !
जिसके लहू से प्राण मिला !
उसका ही बलिदान दिया !!
— प्रीती श्रीवास्तव