ग़ज़ल : आज तुम भी सनम बेवफा हो गए
आज तुम भी सनम बेवफा हो गए
मैं मनाता रहा तुम खफा हो गए।
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बात ये गर नहीं तो जरा कुछ कहो
अनकही सी कोई दास्तां हो गए।
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प्यार की रोशनी मुझ में बाकी रही
तुम मेरी जिंदगी का नशा हो गए।
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मान बैठा तुम्हें अपनी किस्मत सनम
तुम मेरी जिंदगी की सजा हो गए।
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हर कदम पास तेरे ही आता रहा,
दूर तुम क्यों सनम हर दफा हो गए।
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चाहते हर घड़ी मेरी प्यासी रहीं,
हम तरसते रहे वो घटा हो गए।
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देखते ही तुम्हें दिल तुम्हारा हुआ
जिंदगी का तुम्ही सिलसिला हो गए।
— सौरभ दीक्षित