………मीत याद आता है………
बादल घिरता देखो तो, मीत याद आता है,
ठंडी हवा के सिहरन से प्रीत याद आता है।
दूर अभी मैं उनसे हूँ अपनी है मजबूरी,
प्रेम भरी नजरों से गया गीत याद आता है।
मनमीत याद आता है।।
दिन कट जाते कैसे, साथी जब होता है,
मिलन घड़ी की रातें छोटी, साथी जब होता है।
दो नैनों के मिलने में ही, बीत जाते छुट्टी के दिन,
हप्ते पल भर लगें हैं अब तो, साथी जब होता है।
तन्हा मन अब रोता है।।
हाल नहीं बेहाल मेरा, सजनी भी अब रोती है,
चंद दिनों के आते हो कह, सजनी भी अब रोती है।
जो भी पल मिले हैं उसको, बांहों में आकर ही सिमटी,
घर से कदम निकालूं तो, सजनी भी अब रोती है।
हां गले लगाकर रोती है।।
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।। प्रदीप कुमार तिवारी।।
करौंदी कला, सुलतानपुर
7537807761