बाल कविता

प्यारी दादी

प्यारी दादी अम्मा मुझको,
चंदा जरा दिखादे।
चमक रहे हैं नभ् में तारे,
उनसे बात करा दे।

मोबाईल पर पूरी घंटी,
दे देकर मैं हारी।
पर तारों ने कभी आज तक,
बात न सुनी हमारी।

चन्दा को मामा कहने का,
अर्थ समझ न आया।
जो माँ से राखी बंधवाने,
नहीं आज तक आया।

दादी बोली चन्दा मामा,
जब तब फोन लगाते।
रात चांदनी जब होती है,
तब हमसे बतियाते।

तारे भी तो झिलमिल झिलमिल,
हाय हेलो करते हैं।
सुबह रोज जाते अपने घर,
बाई बाई करते हैं।

*प्रभुदयाल श्रीवास्तव

प्रभुदयाल श्रीवास्तव वरिष्ठ साहित्यकार् 12 शिवम् सुंदरम नगर छिंदवाड़ा म प्र 480001