गीतिका/ग़ज़ल

पिता का साया

पिता का साया

पिता का साया गर जिंदगी मे नही होता ।

मिली जिंदगी मे खुशीयों में रंग नही होता ।।

बेनूर होती ज़िंदगी ,ज़िंदगी नही होती ।

बिन साये के जीने का ढंग नहीं होती ।।

कभी रोशनी नहीं होती ज़िंदगी में यारो ।

पिता ने हर पल किया ज़ंग नहीं होता ।।

वे रंग हो जाती  दीवारें दिले मकां की ।

गर पिता ने इन्हें दिया रंग न होता ।।

सुदेश दीक्षित

बैजनाथ कांगडा हि प्र मो 9418291465