गीतिका/ग़ज़ल

झंडा ऊंचा रहे यह हमारा

तर्ज़ .. गम किये मुस्तिकल कितना नाज़ुक है दिल यह ना जाना
१ देश का यह निशाँ कौम की है यह जाँ, जिस तारा ,
झंडा ऊंचा रहे यह हमारा .

२ लाखों वीरों ने वारी जवानी , मिटने वाली ना कौमी निशानी ,
देश की शान पर कौम की आन पर शीश वारा ,
झंडा ऊंचा रहे यह हमारा . देश का यह निशाँ ……..
३ भगत सिंह दत्त वतन के शैदाई देश बदले जवानी लुटाई ,
फांसी के तख्ते पर चढ़ गए यह थे निडर , नारा मारा ,
झंडा ऊंचा रहे यह हमारा . देश का यह निशाँ ….
४ रास्ता आजादी का बतला कर नारा जय हिन्द का सिखला कर ,
गए नेता कहाँ ,आनेगे कब यहाँ
ढून्ढ हारा , झंडा ऊंचा रहे यह हमारा . देश का यह निशाँ ….

3 thoughts on “झंडा ऊंचा रहे यह हमारा

  • मनजीत कौर

    बहुत सुन्दर गीत ,भाई साहब .

  • अश्वनी कुमार

    sir bahut sunder.

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत अच्छा और प्रेरक गीत, भाई साहब.

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