झंडा ऊंचा रहे यह हमारा
तर्ज़ .. गम किये मुस्तिकल कितना नाज़ुक है दिल यह ना जाना
१ देश का यह निशाँ कौम की है यह जाँ, जिस तारा ,
झंडा ऊंचा रहे यह हमारा .
२ लाखों वीरों ने वारी जवानी , मिटने वाली ना कौमी निशानी ,
देश की शान पर कौम की आन पर शीश वारा ,
झंडा ऊंचा रहे यह हमारा . देश का यह निशाँ ……..
३ भगत सिंह दत्त वतन के शैदाई देश बदले जवानी लुटाई ,
फांसी के तख्ते पर चढ़ गए यह थे निडर , नारा मारा ,
झंडा ऊंचा रहे यह हमारा . देश का यह निशाँ ….
४ रास्ता आजादी का बतला कर नारा जय हिन्द का सिखला कर ,
गए नेता कहाँ ,आनेगे कब यहाँ
ढून्ढ हारा , झंडा ऊंचा रहे यह हमारा . देश का यह निशाँ ….
बहुत सुन्दर गीत ,भाई साहब .
sir bahut sunder.
बहुत अच्छा और प्रेरक गीत, भाई साहब.