लघुकथा

दानापुर की दुल्हिन

”दुल्हिन दानापुर की आई, लेके रथ पे बारात,
स्वागत करने दूल्हे राजा, ठाड़े परिजन के साथ”.
हमने सुरेखा को ये पंक्तियां सुनाईं, तो उसे विश्वास नहीं आया. 
”दीदी, शायद मुझे कुछ उल्टी बात सुनाई दे रही है.” सुरेखा का कहना था.
”हां भाई, सुनने में यह भले ही उल्टी बात लगे, पर यही सीधी-सही बात है.”
”मतलब, दूल्हे के द्वार पर बारात लेके दुल्हिन पहुंची!” सुरेखा का आश्चर्य चरम पर था. ”ऐसा कैसे हो सकता है?”
”हो क्यों नहीं सकता? जो करना चाहो, वही हो सकता है.” 
”बिहार में राजधानी पटना के मनेर में एक दुल्हन रथ (बग्घी) पर सवार होकर बारातियों के साथ अपने दूल्हे को लेने उसके द्वार पहुंची. बारात में सभी पुरुष गुलाबी रंग की पगड़ी पहने गाजे-बाजे के साथ नृत्य करते और झूमते नजर आए. यहां आम शादियों से अलग न दहेज का झंझट था, न परंपरा की बेड़ी. वर पक्ष ने बारात का स्वागत-सत्कार किया.”
”पर क्यों?” सुरेखा का अगला प्रश्न था.
”दुल्हिन के पिता ने लड़कियों को लड़कों के बराबर दिखाने का संदेश देने के लिए तय किया था, कि उनकी बेटी बारात लेकर दूल्हे के घर जाएगी.’
”लो भई, यह तो बड़ी अच्छी बात है. तब तो हम भी गाएंगे-
बारात लेकर रथ पर सवार, 
दुल्हिन पहुंची दूल्हे के द्वार.” 
सुरेखा की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “दानापुर की दुल्हिन

  • लीला तिवानी

    यह अनोखी शादी बिहार के दानापुर में हुई है. बारात लेकर दुल्हन पहुंची दूल्हे के द्वार. नेर टोला निवासी नौसेना अधिकारी विनोद कुमार राय की बेटी स्नेहा की सगाई कुछ दिन पहले ही मधुबनी के जयनगर निवासी अनिल कुमार यादव के साथ हुई थी. अनिल भी नौसेना में ही लेफ्टिनेंट कमांडर हैं. स्नेहा मुंबई में एक निजी बैंक में असिस्टेंट मैनेजर के पद पर कार्यरत हैं. समाज को एक उत्तम-सकारात्मक संदेश देने के लिए यह अनोखी शादी एक अच्छी मिसाल है.

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