गज़ल
बुरा औरों का जो करता नहीं है
शर्म से उसका सर झुकता नहीं है
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कभी भी आज़मा लो जब जी चाहे
सच्चा आदमी डरता नहीं है
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दुनिया भर की दौलत मिल भी जाए
पेट लालच का पर भरता नहीं है
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नहीं बन पाएगा कुंदन कभी वो
जो अपनी आग में जलता नहीं है
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कहते हैं पते की बात लेकिन
बुज़ुर्गों की कोई सुनता नहीं है
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वफा रखो तुम अपनी पास अपने
ये सिक्का अब यहां चलता नही है
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आभार सहित :- भरत मल्होत्रा।
बहुत खूब