कुण्डलियाँ
(बृजभाषा में प्रथम प्रयास)
गाड़ी लाडी और की, मन कूँ सदा लुभाय
चाहे चोखी आपनी, पर मन मानत नाय
पर मन मानत नाय, नैन औरन कूँ घूरत
अरसै सदा नवीन,नैन अरु मन की ई लत
धरौ ध्यान उत्कर्ष, आप की आवैं आड़ी
औरन कौ का ओर, रहे लाड़ी या गाडी
(बृजभाषा में प्रथम प्रयास)
गाड़ी लाडी और की, मन कूँ सदा लुभाय
चाहे चोखी आपनी, पर मन मानत नाय
पर मन मानत नाय, नैन औरन कूँ घूरत
अरसै सदा नवीन,नैन अरु मन की ई लत
धरौ ध्यान उत्कर्ष, आप की आवैं आड़ी
औरन कौ का ओर, रहे लाड़ी या गाडी