“गीतिका”
मापनी- 22 22 22 22, समान्त- अत, पदांत- की
“गीतिका”
मत लाना दिल में शामत की
देखो कितनी सुंदर गलियाँ
खुश्बू देती हैं राहत की।।
जब कोई लगता दीवाना
तब मन होता है बसाहत की।।
दो दिल का मिलना खेल नहीं
पढ़ना लिखना है कहावत की।।
माना की दिल तो मजनू है
पर मत चल डगर गुनाहत की।।
देखो कलियाँ चंचल होती
मत करना नजर शिकायत की।।
घूमो नाचो गाओ गौतम
पर मचलन रहन किफायत की।।
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी