ग़ज़ल
दिल की हसरत को दबाने की जरूरत क्या है
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इश्क कीजे तो छुपाने की अरूरत क्या है |
दिल की हसरत को दबाने की जरूरत क्या है |
राह में इश्क के हर खार भी गुल लगता हैं –
इश्क की छाँव के आगे कोई दौलत क्या है |
जब भी गुजरे नई राहों पे नये रंग देखे –
ख्वाब आँखों ने सजाये हैं तो आफत क्या है|
हाय चाहत के झरोखों के शरारों में कहीं-
दिख रही तेरी मोहब्बत तेरी सीरत क्या है |
जिसने दामन में छुपा रखे है कुछ पल अनमोल –
उसको दुनिया के खजाने की जरूरत क्या है |
इश्क में नाम की रुसवाई से जो डरते हैं –
वो नहीं जानते ऐ यार मोहब्बत क्या है |
तेरे बिन ज़िन्दगी बेज़ार हुई जाती है –
देख एक बार तू आकर मेरी हालत क्या है |
तेरे दीदार की हसरत में न मर जाऊँ मैं –
ये बता दे तेरे दीदार की सूरत क्या है |
क्यों निगाहों न निगाहों का भरम तोड़ दिया –
दर्द मिलता है मोहब्बत में शिकायत क्या है |
इस मोहब्बत ने’मृदुल’कितनो के दिल तोड़ दिये –
है हकीकत यहाँ जज़्बात की कीमत क्या है |
मंजूषा श्रीवास्तव”मृदुल “