गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

दिल की हसरत को दबाने की जरूरत क्या है
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इश्क कीजे तो छुपाने की अरूरत क्या है |
दिल की हसरत को दबाने की जरूरत क्या है |

राह में इश्क के हर खार भी गुल लगता हैं –
इश्क की छाँव के आगे कोई दौलत क्या है |

जब भी गुजरे नई राहों पे नये रंग देखे –
ख्वाब आँखों ने सजाये हैं तो आफत क्या है|

हाय चाहत के झरोखों के शरारों में कहीं-
दिख रही तेरी मोहब्बत तेरी सीरत क्या है |

जिसने दामन में छुपा रखे है कुछ पल अनमोल –
उसको दुनिया के खजाने की जरूरत क्या है |

इश्क में नाम की रुसवाई से जो डरते हैं –
वो नहीं जानते ऐ यार मोहब्बत क्या है |

तेरे बिन ज़िन्दगी बेज़ार हुई जाती है –
देख एक बार तू आकर मेरी हालत क्या है |

तेरे दीदार की हसरत में न मर जाऊँ मैं –
ये बता दे तेरे दीदार की सूरत क्या है |

क्यों निगाहों न निगाहों का भरम तोड़ दिया –
दर्द मिलता है मोहब्बत में शिकायत क्या है |

इस मोहब्बत ने’मृदुल’कितनो के दिल तोड़ दिये –
है हकीकत यहाँ जज़्बात की कीमत क्या है |
मंजूषा श्रीवास्तव”मृदुल “

*मंजूषा श्रीवास्तव

शिक्षा : एम. ए (हिन्दी) बी .एड पति : श्री लवलेश कुमार श्रीवास्तव साहित्यिक उपलब्धि : उड़ान (साझा संग्रह), संदल सुगंध (साझा काव्य संग्रह ), गज़ल गंगा (साझा संग्रह ) रेवान्त (त्रैमासिक पत्रिका) नवभारत टाइम्स , स्वतंत्र भारत , नवजीवन इत्यादि समाचार पत्रों में रचनाओं प्रकाशित पता : 12/75 इंदिरा नगर , लखनऊ (यू. पी ) पिन कोड - 226016