सत्य ही शिव है और सुंदर भी……गुंजन अग्रवाल
सृष्टि का एक तू ही स्वामी है।
बात भोले तेरी ही निराली है।
सत्य ही शिव है और सुंदर भी।
जर्रे जर्रे ने महिमा गाई है।
अर्ज मेरी सुनो हे शिव भोले
दासी ये दर्शनाभिलासी है।
तुम ही आराध्य हो मेरे शंकर
मेरी बिगड़ी तुम्हें बनानी है।
नूर मिलता है तेरी भक्ति से
तुझसे ही लौ हमें लगानी है।
जब से पी तेरे नाम की हाला
तब से “गुंजन” जरा सी बहकी है।