कविता

धरती पर स्वर्ग

हर इंसान मौत से डरता है
फिर भी न जाने क्यूँ —
ज़िंदगी में जीते जी कई बार मरता है,
यह कैसी नादानी है
यह सब तो बेमानी है ,
जीना है तो खुल के जियो ,
जीवन अमृत है
हंस हंस कर पियो,
ज़िंदगी अमानत है ज़हर नहीं ,
खुदा की इनायत है कहर नहीं
हर छोटी समस्या को समझ लिया हव्वा
और रो पड़े , हाय ,बचा ले मेरे रब्बा
किसी ने गाली दी ,
आपने गोली समझ लिया
किसी ने कटाक्ष किया ,
दिल पे खंजर चल गया
अरे. जो करेगा सो भरेगा
नादाँ ही इन बातों से डरेगा
अरे ज़िंदगी है जीने के लिए ,
कोई मज़ाक नहीं
खुदा की सौगात है,
कोई इत्तेफ़ाक़ नहीं
प्रेम प्यार से जियो ,
जो मुनासिब है उसका साथ दो
अपनों के हाथो में हाथ दो
वक़्त बदलता है तो खुद को बदलो
वक़्त की नज़ाकत को दिल से टटोलो
प्यार ही जीवन है
प्रीत ही आशा है
आपके प्यार की खुशबू जहाँ तक जाएगी
यह धरती भी आपको स्वर्ग नज़र आएगी
जय प्रकाश भाटिया
२६/११/२०१८.

जय प्रकाश भाटिया

जय प्रकाश भाटिया जन्म दिन --१४/२/१९४९, टेक्सटाइल इंजीनियर , प्राइवेट कम्पनी में जनरल मेनेजर मो. 9855022670, 9855047845