हार की जीत या जीत की हार
राहुल का रेला
मजबूत हुआ हाथ
मुर्झाया कमल
भाजपा भुसभास
जो जीते थे वो हार गए
जो हारे थे वो जीत गए
जिन पर लगते थे आरोप
वो अब आरोप लगाने लगे
जिनसे मांगा जाता था हिसाब
बही – खाता खंगालने लगे
जिनसे रोशन थी महफिल
हाशिये पर जाने लगे
गुमनामी में खोई शख्सियतें
महफिल में आने लगे
अनंत काल तक चलता रहेगा
हार – जीत का यह सिलसिला
हम देखने वाले तमाशा
तमाशबीन ही रहेंगे
— तारकेश कुमार ओझा