कविता

जियो तो ऐसे जियो

‘कल क्या होगा न मैनै देखा न तुमने ,
आज की हम करें बात ,
ओछी सोच को त्यागकर,
सच्चाई को करें आत्मसात।
‘इस क्षण को हँसकर बिताए,
न तड़पे और न करें संताप,
सुख-दुःख तो है आते जाते,
क्यों करे कष्टो का विलाप’।
‘जीवन के दृष्टिकोण को,
आज दे नया आयाम ,
अगर सोच हो साकारात्मक ,
तो मन को मिलेगा पूर्ण विराम’।
‘हिम्मत न हारो कभी मन का,
खुद पे इतना विश्वास करो,
मंजिल तक जरूर पहूचोगे,
मन की सोच को खास करो’।
‘जीवन को ऐसे उछालो कि,
आसमान में छेद कर सको,
मन की गहराई में इतने डूबो कि,
अपने अंतरतम को भेद सको’।
‘सोच की दिशा सही करो,
संकल्पों को लेकर साथ ,
दृढ़निश्चय कर लक्ष्य को देखो,
चाहे जितना हो कठीन पाथ’।
‘ऐसे शोहरत कमाओं कायनात में ,
जैसे तुम सूरज की रोशनी हो,
इतना मृदुल बनो जीवन में कि,
हरके दिल में तेरी ही शहनाई हो’।
‘जैसा सोचोगे मन में ,
वैसा ही तुम पाओगे,
दूसरों को दोगे अगर जीवन,
ईश्वरके दूत बन जाओगे’।
‘अपनी ऊर्जा को पहचान दो,
तेरी ऊर्जा ही तेरा धन है,
सद्धभावो को उत्सर्जित करों ,
तभी तेरा जीवन सुखी सम्पन्न है।
— मृदुल