कविता

माँ

माँ क्यों मैं खूबसूरत नहीं 
क्यों मैं तुम जैसी नहीं 
क्यों ना दिया तुमने कुछ इसके सिवा 
कि भूल ही जाऊँ हँसना तुम्हारी तरह 
एक वक्त था खिलखिलाती थी हँसी 
उसे रोकना न था मेरे बस में 
रोको तो और खिल जाती थी हँसी 
ये थी तब मेरी कहानी 
और तुम…
तुम तो कोशिश करती थी
मुस्कुराने  की..बेहिसाब
हाँ ठीक कहा था  तुमने
कोई वजह तो हो 
बेवजह कोई कैसे हँसेगा 
और वो थी एक और वजह
मेरे बरबस हँस पड़ने की 
आज मैं भी एक माँ हूँ..
एक पत्नी..और बहुत कुछ 
अब बेटी थोड़ी कम सी हूँ
बदल गये हैं हालात मेरे 
अब सोचना पड़ता है
किसी वजह की तलाश भी
अब करनी पड़ती है
अब मेरी कहानी हूबहू 
तुम जैसी हो चली है
बात बेबात छलक आती
मेरी ये कोमल आँखे 
हँसते हैं मुझे रोते देख 
मेरे मासूम बच्चे
मेरी प्यारी माँ 
ऐसा क्यों होता है 
ये तो बता दो 
हँसने को वजह 
और आँसू बेवजह 
उस वक्त मैं एक बेटी थी
एकदम बेफिक्री सी थी 
आज माँ बनकर समझी हूँ
माँ के आँसू यूँ ही बहते हैं
जिन्हे रोकना 
ना तुम्हारे बस में था 
ना मेरे……….

प्रियंका अग्निहोत्री “गीत”

प्रियंका अग्निहोत्री 'गीत'

पुत्री श्रीमती पुष्पा अवस्थी