कल्पनाओं का जो ये सुंदर संसार है।
कल्पनाओं का जो ये सुंदर संसार है…
इसमें ख़्वाहिशें देखो उमड़ती बेशुमार हैं
वो लफ़्ज जो तुम तक कभी न पहुंचे
उनको बुनकर देखो इक कविता तैयार है
ये जो कल्पनाओं का सुंदर संसार है
वो सब जो करने को मन कहता है
वो बंधन जो मन तोड़ नहीं सकता है
वास्तविकता से उसका कुछ कुछ सरोकार है
ये जो कल्पनाओं का सुंदर अपना संसार है
आना महसूस करना उन भावों औ ख्वाबों को
कुछ आधी अधूरी कही अनकही बातों को
जिनपे बस अपना ,हाँ अपना पूर्ण इख्तियार है
ये जो अद्भुत कल्पनाओं का सुंदर संसार है
जानती हूँ जब सच से रुबरु होगा मन
इतनी खुशियों का टूटेगा जब ये अदृश्य तिलस्म
इन कल्पनाओं के परे होगा हकीकत से सामना
सब कुछ कहां मिल पाएगा जो ख्वाबों में दीदार है
कभी लगे सच कभी झूठा लगे हर बार है
हाँ ,मेरा अपना जो कल्पनाओं का सुंदर संसार है।
कामनी गुप्ता ***
जम्मू !