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अशोक जैन सम्मानित

लघुकथा में संप्रेषणनियता अत्यंत आवश्यक है, और संप्रेषण के साथ साथ उसमें इस प्रकार की संवेदना होना चाहिए जो उसके मर्म को छूकर अपने अंत तक पहुंचे, ताकि लघुकथा पाठकों तक संप्रेषण होने के साथ साथ उनकी संवेदना को भी प्रभावित कर सकें। लघुकथा का वह दौर जो आज से 40 वर्ष पूर्व रहा था, वह आज के समय में अधिक लघुकथा लेखन के कारण विकृत होता जा रहा है, क्योंकि जब आप अधिक लघुकथा लिखते हैं तो आपकी लघुकथा की गुणवत्ता समाप्त हो जाती है ।ऐसे लोग हैं जिन्होंने 30 से 35  लघुकथाएँ ही लिखी है लेकिन लघुकथा के इतिहास में उनका नाम हो चुका है ।वर्तमान में जब हम लघुकथाओं को देखते हैं तो कई लघुकथाएं खारिज हो जाती है। बावजूद उसके कई सारे पुराने लघुकथा लेखक हैं जो आज भी अच्छी लघुकथाओं का लेखन और प्रकाशन कर रहे हैं। इंदौर लघुकथा का एक महत्वपूर्ण केंद्र है और क्षितिज संस्था के माध्यम से श्री सतीश राठी और उनके साथी लघुकथा के उन्नयन के लिए बड़ा काम कर रहे हैं।’ यह बात गुरुग्राम से पधारे वरिष्ठ लघुकथाकार एवं दृष्टि पत्रिका के संपादक श्री अशोक जैन ने क्षितिज संस्था के द्वारा आयोजित रचना संगोष्ठी में व्यक्त किए।
संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए श्री पुरुषोत्तम दुबे ने कहा कि, लघुकथा विराट की सूक्ष्म अभिव्यक्ति है। संवेदना की अभिव्यक्ति के बारे में विश्लेषण करते हुए उन्होंने कहा कि ,दर्द ना कविता में होता है ना कहानी में ना उपन्यास में ना लघुकथा में ।दर्द कहने वाले की कलम में होता है और जब कोई लिखने वाला व्यक्ति उस दर्द को लिख देता है तो वह कविता या लघुकथा या कहानी या उपन्यास कालजयी हो जाता है।
इस कार्यक्रम में  श्रीमती ज्योति जैन, वसुधा गाडगिल,  सपना सिंह तोमर, वंदना शर्मा, अंजू निगम, अशोक शर्मा भारती ,आर एस माथुर, अश्विनी कुमार दुबे, एलएन राठौड़ एवं सतीश राठी के द्वारा रचना पाठ किया गया। कार्यक्रम का संचालन श्री सतीश राठी ने किया और आभार श्री अशोक शर्मा भारती के द्वारा माना गया। संस्था के द्वारा श्री अशोक जैन को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया।