करीब आ जाओ
गर जानना है मुझको करीब आ जाओ
पहचानना है मुझको करीब आ जाओ,
दुआ सलाम से फितरत नहीं जानी जाती
दिल्लगी है तो फिर हाल ए दिल सुना जाओ,
किनारे बैठ कर दरिया की गहराई नहीं मिलती
जो सागर से मोहब्बत है तो सागर में समा जाओ,
मंदिर मस्जिद से इबादत का भरम होता है
फना हो जाओ मुझ में तुम ही तुम नजर आओ,
हर सांस तेरे नाम हो तेरी याद में हर सांस हो
धडकनों में घुलकर तुम दिल में मेरे समा जाओ,