मेरी कहानी
मेरी जिंदगी
मैं एक औरत हूँ ,
क्या हैं मेरी कहानी,
शायद हैं,या नहीं हैं,
बचपन में अपनी चहक से,
चहकाती बाबुल का आँगन।
शादी के बाद मेरी हँसी से,
आबाद होता पिया का घर आँगन।
ढ़लती उम्र में स्नेह,प्यार से,
वृक्ष बन वंश बेल की सींचती हूँ।
बस यही है मेरी यानी ,
हर औरत की कहानी ।।।
सारिका औदिच्य