ग़ज़ल – भादो की अष्टमी
भादो की अष्टमी खुशी की बात हो गयी ,
कान्हा के अवतरण की हँसी रात हो गयी ।
कृष्णा ने देवकी को वो जल्वा दिखा दिया ,
वसुदेव की किशन से मुलाक़ात हो गयी ।
सब पहरुवे भी सो गये जादू सा चल गया
जमुना के जल मे प्रेम की बरसात हो गयी
माता जसोदा नंद के आँगन में धूम है ,
घर -घर में आज खुशियों की बारात हो गयी
गोवर्धना को हाथ की उँगली से उठाकर ,
गोकुल मे नयी एक रिवायात हो गयी ।
धरती में फैले पाप का भी अंत कर दिया ,
गीता के ज्ञान से नयी शुरुआत हो गयी ।
रसखान डूबा प्रेम में मीरा हुई मगन ,
है प्रेम ही महान ये सौग़ात हो गयी ।
मोहन की बाँसुरी की मधुर तान जो सुनी ,
प्रेमी दिलों की एक नयी जात हो गयी ।
नीलम के दिल में प्रेम का दीपक जला दिया
प्रभु के चरण में उसकी कायनात हो गयी।
— डा नीलिमा मिश्रा
प्रयागराज