गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल – भादो की अष्टमी

भादो की अष्टमी खुशी की बात हो गयी ,
कान्हा के अवतरण की हँसी रात हो गयी ।

कृष्णा ने देवकी को वो जल्वा दिखा दिया ,
वसुदेव की किशन से मुलाक़ात हो गयी ।

सब पहरुवे भी सो गये जादू सा चल गया
जमुना के जल मे प्रेम की बरसात हो गयी

माता जसोदा नंद के आँगन में धूम है ,
घर -घर में आज खुशियों की बारात हो गयी

गोवर्धना को हाथ की उँगली से उठाकर ,
गोकुल मे नयी एक रिवायात हो गयी ।

धरती में फैले पाप का भी अंत कर दिया ,
गीता के ज्ञान से नयी शुरुआत हो गयी ।

रसखान डूबा प्रेम में मीरा हुई मगन ,
है प्रेम ही महान ये सौग़ात हो गयी ।

मोहन की बाँसुरी की मधुर तान जो सुनी ,
प्रेमी दिलों की एक नयी जात हो गयी ।

नीलम के दिल में प्रेम का दीपक जला दिया
प्रभु के चरण में उसकी कायनात हो गयी।

डा नीलिमा मिश्रा
प्रयागराज

डॉ. नीलिमा मिश्रा

जन्म एवं निवास स्थान इलाहाबाद , केन्द्रीय विद्यालय इलाहाबाद में कार्यरत , शिक्षा इलाहाबाद विश्वविद्यालय से मध्यकालीन भारत विषय से एम० ए० , राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय से पी०एच० डी० । अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में सहभागिता विशेष रूप से १६वां विश्व संस्कृत सम्मेलन बैंकाक २०१५ । विभिन्न पत्र- पत्रिकाओं में लेख गीत गजल कविता नज़्म हाइकु प्रकाशित इसके अलावा ब्लाग लिखना ,गायन में विशेष रुचि