लघुकथा

नम आँखें

आज बिट्टू चुप होने का नाम ही नहीं ले रही थी । उसकी सारी सहेलियां अपने मम्मी पापा के साथ पूजा की छुट्टियों में घुमने जा रहे थे। प्रणय को समझ में नहीं आ रहा था कि बिट्टू को क्या और कैसे समझाये ?
ऑफिस से लौटते वक्त वह तालाब किनारे थोड़ी देर बैठकर वर्तमान परिस्थिति पर विचार करने लगा। काश आज माँ जिंदा होती तो बिट्टू की दादी नहीं बल्कि माँ बनकर उसे संभाल लेती। माँ की याद आते ही माँ के साथ बिताये बचपन एवं गाँव का घर याद आ गया । जहाँ माँ ने फलों का बाग लगाये थे । कई तरह के पौधे उसकी आँगन में सुशोभित थे।
अररे वाह ! सच में माँ ‘माँ’ होती है , माँ इस धरती की अप्सरा रूपी देवी होती है।उसके पास अपने बच्चों की हर समस्या का समाधान रहता है।
वह खुशी से लगभग दौड़ते हुए घर पहुँचा ; “ओ…मेरी बिटिया चल जल्दी से तैयार हो जा, हम भी घुमने जायेंगे ।”
गाड़ी स्टार्ट करते ही हवा से बातें करने लगी, कुछ ही देर में वह अपने गाँव पहुँच गया। माँ के लगाये पौधों की डालियां इतनी झूक गई थीं मानों अपने आगोश में लेने को बेताब थीं।
“देख बिट्टू तेरी माँ इस जगह पर नहीं रहना चाहती थीं, उन्हें शहरी जिंदगी एवं अप्राकृतिक कूलर ए सी की हवा ही प्रिय थी, परंतु मुझे अपने माँ बाबूजी के साथ उनके द्वारा लगाये पेड़-पौधे पसंद थे। तुम्हारी माँ की खुशी की खातिर शहर तो चला गया, लेकिन अस्थमा की वज़ह से तेरी माँ को खो दिया ।”
“ओहह….सॉरी पापा आपको दुखी करने का मेरा कोई इरादा नहीं था और यह शायद दादी माँ भी चाहती हैं, तभी तो उनके द्वारा लगाये पेड़ हमें देखकर खुशी से झूमते हुए हमें मीठी सी छुअन का अहसास कराते हुए हमें चूम रही हैं, “थैंक्यू ग्रेंड मॉम” कहते हुए नम आँखों से बिट्टू पेड़ से लिपटकर बेतहाशा चूमने लगी।
— आरती राय

*आरती राय

शैक्षणिक योग्यता--गृहणी जन्मतिथि - 11दिसंबर लेखन की विधाएँ - लघुकथा, कहानियाँ ,कवितायें प्रकाशित पुस्तकें - लघुत्तम महत्तम...लघुकथा संकलन . प्रकाशित दर्पण कथा संग्रह पुरस्कार/सम्मान - आकाशवाणी दरभंगा से कहानी का प्रसारण डाक का सम्पूर्ण पता - आरती राय कृष्णा पूरी .बरहेता रोड . लहेरियासराय जेल के पास जिला ...दरभंगा बिहार . Mo-9430350863 . ईमेल - arti.roy1112@gmail.com