दिल आज हुआ है शायर फिर
दिल आज हुआ है शायर फिर होठों पे गज़ल आई,
बरस न जाएं आंसू फिर आंखों में घटा छाई
घनी अंधेरी दूर तलक शब नज़र न आए सहर
इंतज़ार अपने शबाब पर देखे राह नजर
आ जाओ ये दौर विरह का दूर करो तनहाई
बरस,,,,,,,
चले गये यूं तोड़ के रिश्ता दिल के दामनगीर
आंखों के आंसू देखे न देखी मन की पीर
जाने कहां गये तुमको अब तक न मेंरी याद आई
बरस,,,,,,,,,
आज निगाहें यार करम कर बीत न जाए शाम सुहानी
बदल न जाए मंज़र फिर से चुप हो जाए दीवानी
तेरा नाम पुकारे धड़कन दिल तेरा शैदाई
बरस ,,,,,,,,
— पुष्पा “स्वाती”