ग़ज़ल
खूबसीरत से तुम बना रखना।
आदमी साथ में भला रखना।
याद वादे ज़रा ज़रा रखना।
हाथ खाली न झुनझना रखना।
भूलना राह मत भलाई की,
ज़ह्न में सबका तुम भला रखना।
जब खुदा कुछ तुम्हे नवाज़े तो,
फिर बड़ा खूब दायरा रखना।
दूसरों को बुरा न कहना तुम,
सामने अपने आइना रखना।
राह चुनना सदा भलाई की,
हर बुऱाई से फासला रखना।
पहली फुर्सत में आ रहा हूँ मैं,
गीत प्यारा सा गुनगुना रखना।
काम करना हमीद फुर्ती से,
हौसलों को नहीं दबा रखना।
— हमीद कानपुरी