लघुकथा

निंदिया से जागी बहार

(5 जून विश्व पर्यावरण दिवस पर विशेष)
”हनी, दस बज गए हैं, अब सो जाओ. बंद करो ये गाना- ”निंदिया से जागी बहार”. अभी जागने का नहीं, सोने का समय है.

”लो ममी, बंद कर दिया,” मोबाइल ऑफ करते हुए हनी ने कहा. ”लेकिन मधुमक्खी तो अपनी जिंदगी में कभी नहीं सोती, हमारा सोना क्यों जरूरी है?” हनी की मासूमियत मुखर थी.

”तुमसे किसने कहा कि मधुमक्खी अपनी जिंदगी में कभी नहीं सोती!”

”हमारी टीचर जी ने बताया था.”

”और क्या बताया है टीचर जी ने?” ममी की जिज्ञासा बढ़ गई.

”टीचर जी ने बताया है
1.मधुमक्खी को पर्यावरण का सबसे उपयोगी जीव कहा गया है.
2.मधुमक्खी धरती पर अकेली ऐसी insects (उड़न कीट) है जिसके द्वारा बनाया गया भोजन मनुष्य द्वारा खाया जाता है.
3.मधुमक्खी 24KM/H की रफ्तार से उड़ती है और एक सेकंड में 200 बार पंख हिलाती है. मतलब, हर मिनट 12,000 बार.
4.मधुमक्खियों में कुत्तों की तरह ही बम ढूँढने की शक्ति भी होती है. इनमें 170 तरह के सूंघने वाले रिसेप्टर्स होते हैं जबकि मच्छरों में सिर्फ 79 ही होते हैं.
5.मधुमक्खी फूलों की तलाश में छत्ते से 10 किलोमीटर दूर तक चली जाती है. यह एक बार में 50 से 100 फूलों का रस अपने अंदर इकट्ठा कर सकती है. इनके पास एक एंटिना टाइप छड़ी होती है जिसके जरिए ये फूलों से ” चूस लेती है.
6.मधुमक्खी को पर्यावरण का सबसे उपयोगी जीव कहा गया है. यदि मधुमक्खी पृथ्वी के मुख से गायब हो गयी तो इंसानों के पास जीवित रहने के लिए बस चार साल बचेंगे.” हनी खुश होकर बता रहा था.
”अच्छा बेटा, अब सो जाओ.” कहती हुई लाइट बंद कर ममी तो चली गईं, पर हनी को नींद कहां? मधुमक्खी और उसके बनाए हुए हनी के बारे में सोचते-सोचते पता नहीं कब हनी की आंख लग गई, लेकिन मधुमक्खी और पर्यावरण तो वहीं थे.

”मैं पृथ्वी देख रहा हूँ ! यह बहुत खूबसूरत है. पृथ्वी पर मधुमक्खी है. मधुमक्खी धरती पर अकेली ऐसी उड़न कीट है जिसके द्वारा बनाया गया भोजन मनुष्य द्वारा खाया जाता है. मधुमक्खी की वजह से ही पृथ्वी पर हरियाली और खुशहाली है. मधुमक्खी और उनकी तरह के उड़न कीड़े ही सभी तरह की वनस्पतियों के फूलों पर बैठकर उन्हें पनपने का अवसर देते हैं. और उसके बाद ही हम सभी तरह के फूल,फल और सब्ज़ी, उगा पाते हैं.” शायद वह सपना देख रहा था.

”यानी मधुमक्खी के कारण ही निंदिया से बहार जग सकती है!” हनी नींद में कह रहा था.

”निंदिया से जागी बहार” ममी ने फिर से हनी का गाना ऑन कर दिया. तभी हनी के मोबाइल पर मैसेज फ्लैश हुआ-

”पर्यावरण-संरक्षण स्लोगन प्रतियोगिता में आपके स्लोगन
”मधुमक्खी पर्यावरण का सबसे उपयोगी जीव है.” को प्रथम पुरस्कार से पुरस्कृत किया जाता है.

निंदिया से बहार भी जग गई थी और हनी भी.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “निंदिया से जागी बहार

  • लीला तिवानी

    जो भी फल-सब्जियां अनाज आप खाते हैं उन्हें उगाने के लिए मिट्टी पानी और धूप ही काफी नहीं होती इसके अलावा भी एक और प्रकिर्या की आवश्यकता होती है, यह परागण है, विश्व की 30% फसलें परागण पर निर्भर हैं, और लगभग 90% पेड़ और पौधे बढ़ने और फल और बीज उत्पन्न के लिए परागण का इस्तेमाल करते हैं, मधुमक्खियां इस परागण की प्रक्रिया में अहम भूमिका निभाती है, यह दुख और चिंता का विषय है कि प्रदूषण और मानवीय गतिविधियों के कारण मधुमक्खियों की संख्या कम होती जा रही है, जिससे फसलों और जंगलों को नुकसान हो रहा है. मधुमक्खियों के रहने की जगह नष्ट होती जा रही है, और पेड़ पौधों पर रासायनिक कीटनाशक छिड़कने से मधुमक्खियां खत्म होती जा रही है.

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