कविता

चीनी सामान मत लाना कोई

कौन कहता है हम पीठ दिखाकर आये है,
दुश्मन की आंख में आंख डालकर आये है।
दो दो हाथ करके भुजाओं के बल का ज्ञान कराया है,
लाठी, डंडे, पत्थर से भी चीनियों को खूब छकाया है।
जब यह भी युद्ध ही है तो बलिदान भी देना होंगे,
कुछ उनके सर काटेंगे तो शीश अपने भी देना होंगे।
पर वादा है देश से 1 इंच भूमि ना अबकी जाने देंगे,
हम चाहे ना लौटें सीमा से, पर तिरंगे की आन ना जाने देंगे।
गम न करना जब सन्देश हमारी मौत का मिले,
क्योंकि खुद से ज्यादा दुश्मनों को हम यमलोक पहुँचा देंगे।
गर्व करना देश वालों हमारी इस वीरगति पर,
चर्चा तो बहुत होती है अभिनेताओं के फंदों से झूलने पर।
देश के लिए मर मिटने का अपना ही एक मजा होता है,
किस काम के वो बंदे, जो कमरे में मरा होता है।
आज गोली नही झेलनी ना क्रांति ही करना है,
ना ही आपको सीमा पर आकर लड़ना है।
हमारी याद में दीपक भी मत लगाना कोई,
परन्तु घर में चीनी सामान मत लाना कोई।
— मंगलेश सोनी

*मंगलेश सोनी

युवा लेखक व स्वतंत्र टिप्पणीकार मनावर जिला धार, मध्यप्रदेश