मुंशी प्रेमचन्द को समर्पित मुक्तक
गोदान ग़बन और रंगभूमि हाँ कर्मभूमि के दाता हो,
नारी – जीवन के संघर्षों के तुम ही उद्गाता हो,
दीन-हीन के नायक तुम हो कृषक वेदना का स्वर हो,
मानसरोवर के मराल तुम, कथा जगत के त्राता हो।।
डॉ. शशिवल्लभ शर्मा
गोदान ग़बन और रंगभूमि हाँ कर्मभूमि के दाता हो,
नारी – जीवन के संघर्षों के तुम ही उद्गाता हो,
दीन-हीन के नायक तुम हो कृषक वेदना का स्वर हो,
मानसरोवर के मराल तुम, कथा जगत के त्राता हो।।
डॉ. शशिवल्लभ शर्मा