कविता

सबसे पावन बंधन -राखी

चार धागो से बंधा प्यारा सा ये बंधन
सारे जग के बंधनों में सबसे ये पावन
राखी का त्योहार प्यारा लेके आया है
प्यारा सा ये सावन प्यारा सा ये सावन,
तुमसे बंधा बंधन मेरा जबसे जनम लिया
बचपन बिताया साथ में ही हर एक पल जिया
तुम भाई हो,तुम हो सखा,साथी बचपन के
तेरे लिए ईश्वर से हर पल दुआ मांगे ये जिया,
होली के रंग,गुलाल या रोकिट दीवाली के
साथ मिलकर बांटे है सारे पल खुशहाली के
इतने बरस के बाद भी मै भूल ना पाती
लड़ना,झगड़ना,फिर से मिलना दिन वो बचपन के,
तुम कीमती उपहार हो ईश्वर ने जो दिया
तुमसे ही है मायका मेरा प्यारे मेरे भैया
है रब से ये दुआ कि तुम खुश रहो सदा
तुझसे ही तो महकी है मेरे मायके की बगिया।।
— अनामिका लेखिका

अनामिका लेखिका

जन्मतिथि - 19/12/81, शिक्षा - हिंदी से स्नातक, निवास स्थान - जिला बुलंदशहर ( उत्तर प्रदेश), लेखन विधा - कविता, गीत, लेख, साहित्यिक यात्रा - नवोदित रचनाकार, प्रकाशित - युग जागरण,चॉइस टाइम आदि दैनिक पत्रो में प्रकाशित अनेक कविताएं, और लॉक डाउन से संबंधित लेख, और नवतरंग और शालिनी ऑनलाइन पत्रिका में प्रकाशित कविताएं। अपनी ही कविताओं का नियमित काव्यपाठ अपने यूटयूब चैनल अनामिका के सुर पर।, ईमेल - anamikalekhika@gmail.com