‘अभियंता दिवस’ यानी भारतरत्न मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया के जन्मदिवस पर अभियंता अनुज ‘मनु’ की कविता के प्रसंगश: हेत्वर्थ शुभकामनाएँ….
“कुकुरमुत्ते की भांति-
उगते जा रहे इंजीनियरिंग कॉलेज,
जहाँ न होते शिक्षक, न ही प्रैक्टिकल कक्षाएँ
पढ़ाई के नाम पर पॉलिटेक्निक शिक्षक
या बी.टेक. छात्र ही
गेस्ट लेक्चरर बन जाते हैं,
जो होते हैं फ़ख्त कॉमेडियन और टाइम पास !
वहाँ तब होते हैं, सिर्फ राजनीतिक बातें
और प्रेम-प्रसंग लिए आश !
इंजीनियरिंग संस्थान ऐसे में-
लूटते हैं इन भावी इंजीनियर्स को
रुपये तो ऐंठते ही हैं,
खाने के नाम पर मेस सिर्फ रजिस्टर में
उनके बीच स्वाध्याय के सिवाय-
फ़ख्त गेस पेपर ही
होते हैं मित्र परीक्षा निकालने को !
बढ़ते जा रहे बी. टेक.
बढ़ती जा रही बेरोजगारी
रोजगार के अवसर है कम
इंजीनियर्स भूखे हैं,
जिनके कारण क्रिएशन है कम !
किन्तु बी. टेक. डिग्रीधारक क्रिएशन के नाम पर
बन रहे लेखक, चेतन भगत
यानी सबका यही गत !
यह न करें, तो क्या करें,
हे मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया महाराज !
पेट से पेट्रोल और पेट्रोलियम तक है यहाँ,
किन्तु यहाँ साइकिल पंचर की दुकान चलाने के-
कर्ज़ तक नहीं, बावजूद…
इस इंजीनियर्स डे में फिर भी
बड़ी शान से करूँगा चीयर्स,
क्योंकि हम हैं इंजीनियर्स !
हाँ, हम इंजीनियर आन -बान- शान हैं,
सुबह की चाय के साथ कहते हैं, फिर भी-
मेरा भारत महान है, महान हैं !”